निजामुद्दीन स्थित तब्लीगी मरकज के अंदरूनी राज शायद ही कभी सामने आए। क्योंकि, मौलानाओं ने पूरे मरकज परिसर में कहीं भी सीसीटीवी कैमरे नहीं लगवाएं हैं। अंदर तो क्या, बाहर भी कोई कैमरा नहीं है। ये खुलासा उस समय हुआ जब मामले की जांच कर रही अपराध शाखा की टीम ने रविवार को मरकज के अंदर घुसकर मुआयना किया।
अपराध शाखा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मरकज के अंदर किसी तरह की इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस नहीं मिली है। ऐसे में दिल्ली पुलिस के हाथ खाली है। उधर, पुलिस आयुक्त (सीपी) एसएन श्रीवास्तव ने सोमवार को केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला से मुलाकात की और मरकज से जुड़े केस की पूरी जानकारी दी है।
अहम सवाल ये हैं कि अंदर ऐसी कौन सी ट्रेनिंग दी जाती थी कि बाहरी दुनिया को उसकी खबर नहीं थी। वहीं, जब मरकज में हजारों लोग आते थे तो सीसीटीवी कैमरे क्यों नहीं लगवाए गए थे? मरकज में इतने लोग आते थे तो दिल्ली पुलिस व खुफिया एजेंसी क्या रही थीं? स्थानीय थाना पुलिस ने सीसीटीवी लगवाने के लिए क्यों नहीं कहा? दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने अंदर जाकर मुआयना किया तो मरकज में दो बेसमेंट मिले हैं।
मरकज में ज्यादातर हॉल बने हुए हैं। जब अपराध शाखा की टीम अंदर गई तो हर कमरे या हॉल पर ताला लगा हुआ था। अपराध शाखा के एक अधिकारी ने बताया कि मरकज के अंदर से आठ से 10 रजिस्टर बरामद किए गए हैं। ये रजिस्टर काफी मोटे और पुराने हैं। इन रजिस्टर में हर आने वाले की एंट्री होती थी। विदेशियों के लिए अलग से रजिस्टर बना हुआ था।
रजिस्टर में नाम, पता, मोबाइल नंबर और कितने दिन के लिए व्यक्ति आया है आदि की एंट्री की जाती थी। पुलिस ने इन मोबाइल नंबरों के आधार पर ये पता करने शुरू कर दिया है कि मरकज में जनवरी 2020 के बाद आए लोग इस समय भारत में कहां है। दिल्ली पुलिस ने रजिस्टर मिलने की जानकारी गृह मंत्रालय को दे दी है।